बेटी के जन्म पर बधाईयां
सांत्वना स्वरूप मिलीं
वे खास हितैषी थे
जिन्होंने कहा “कोई बात नहीं”
हमें पता था फिर भी दोहराया गया
“बेटी तो लक्ष्मी होती है”
कुछ जो दुख साझा करते थे
झोंके में कह गये “देखना अगली बार ……”
किन्नर समुदाय ने कम कर दी
नेग की रकम
सबकी प्रफुल्लता का मन
थोड़ा सा भारी रहा ।
मैं इस समाज की मानसिकता का आदी हूँ,
जानता हूँ
किन्तु एक प्राण
जो बिना किसी धारणा के जन्मा है
उसे अछूता रखा जाना चाहिये अपराधबोध से
मैं उम्मीद बंधाना चाहता हूँ तुम्हें,
“मेरी बच्ची”
दुनिया ज़रूर होगी
तुम्हारे स्पर्श सी कोमल और सुंदर,
सबके लिये एक सी
एक दिन।
“Ladki Ke Janm Par” A Hindi Poem by Yogesh Dhyani