ओ पवित्र लड़के


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ओ पवित्र लड़के!
पीले उपवन की मीठी सुगन्ध सी
तुम्हारी आभा चिरकाल तलक
मेरे मस्तिष्क में नदी की भाँति
प्रवाहित होती रहेगी

तुम्हारे अवचेतन मन
की झंकृत लड़ियों में
मेरी हथेलियों के
अछोर-अनन्त रेखाओं को
विस्तार दो

ओ पवित्र लड़के!
तुम्हारे करुणामयी नेत्रों में
मंत्रमुग्ध वर्षा
तुम्हारे केशों के पथ पार कर
तुम्हारे होंठों को चूम रही है

तुम्हारे स्वर की झंकार में
गीत गा रही है एक नीली चिड़िया
मेरे आनंदमयी अश्रु
घुलमिल गए हैं प्रशांत से
तुम समेटकर छुपा दो उन्हें निरभ्र में
सप्तऋषियों की छाँव तले,
प्रस्फुटित होंगे उनसे
प्रेममयी प्रकाश के दलपुंज
शीतल रूप लिए

ओ पवित्र लड़के!
तुम्हारे श्वास मात्र से तरंगित हो रही हूँ मैं
मेरे नेत्र भोर में पुष्पों को पुकारती
तितलियों की प्रार्थनाएँ हैं
मैं रक्ताभ कुमुद की नग्न पँखुड़ी
तुम कुहासा बन आलिंगनमय
श्वेतवर्णित कांति का प्रस्ताव दो।

‘O Pavitra Ladke’ A Hindi Poem by Nandita Sarkar

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