तुम्हारा दुःख


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जो मेरे हिस्से का नहीं था,
एक मात्र वही था, 
सुख का कारण;

हिस्से में आयी हुई चीज में,
दुःख, सदैव छिपा रहता है,

दुःख छिपे रहने की चीज है,
यह जितना छिपा रहता है,
उतना ही रहस्यमयी होता है,
सुख की प्रतिदीप्ति भी 
उतनी ही होती है;

पुष्प की सुंदरता के पीछे,
कोई बड़ा दुःख अवश्य छिपा होगा,
छिपा होगा अवश्य ही, 
सागर के गर्भ में,
कोई विपुल विषाद;

मैं तुम्हारी मुस्कान के पीछे का,
एक वही रहस्य ढूँढता हूँ,
मैं ढूँढता हूँ, तुम्हारा दुःख,

मुझसे पूछा नहीं जाता।

‘Tumhara Dukh’ A Hindi Poem by Vijay Bagchi

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