संसार में कुछ भी मौन नहीं होता
आवाज़ हर जगह
अपना स्थान बनाये हुए है,
फूलों से पंखुड़ियाँ, पेड़ो से पत्तें
सूखकर चुपचाप गिर जाते हैं,
जीवन से मृत्यु तक
उनके इस सफ़र का शोर
केवल प्रकृति ही सुन पाती है,
सुख शोर करता है
यह महज एक भ्रम है,
अत्यधिक ख़ुशियों का
एकसाथ मिल जाना भी
इन्सान को मौन कर जाता है,
चुप्पियों के शोर में
इतना भारीपन होता है
कि ज़िन्दा शरीर पर भी
हृदयाघात बेअसर होता है,
जब हृदय दर्द से बहुत भारी हो जाता है,
तो लोग रोते नहीं,
बस चुप हो जाते हैं,
पूरी तरह से चुप।
‘Maun’ A Hindi Poem by Ajay Yadav

अजय यादव, जो ख़ुद को एक आकस्मिक रचनाकार के रूप में दावा करते हैं। यह न केवल एक प्रतिभाशाली शृङ्गार-रस के रचनाकार हैं, बल्कि शब्दों और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्यार भरे शब्दों को बुनने में भी माहिर हैं। इनके प्राथमिक रुचि में सङ्गीत और यात्रा शामिल है। इनकी प्रथम शृङ्गार की रचनाओं से सुसज्जित पुस्तक “ग्यारह तिल” प्रकाशित हो चुकी हैं।