अनुवाद

ज़िद करने के बाद माँ से मिली
दो अठन्नियों में से एक
मैं अक्सर खो देता था
घर से दुकान के रास्ते में
हाँ! मैं आसमान देखकर चलता था, हूँ भी

एक बहेलिया
अपने आंगन में बैठे चिड़ियों को नहीं मारता
उन्हें दाना-पानी देकर शिकार करने जंगल जाता है
उसके घर में उसके कुलदेवता की मूर्ति है
मैं भगवान को नहीं मानता, मगर
माँ जिसे अपना पूजा घर कहती है
उस कमरे में मैं चप्पल उतार कर जाता हूँ

चीन में एक प्राचीन कहावत के अनुसार
हम धरती पर बस
अपने प्रेम को खोजने आते हैं
ये सड़कें, ये पुल, ये जहाज
हमने शायद इसलिए बनाए हैं

हमने बम भी बनाए, जाने क्यों
अरब के किसी देश पर गिरा बम
यूरोप के किसी व्यक्ति का
भावी प्रेम मार देता है

हर आधुनिक चीज बनी है
इतिहास की कोख से खोदकर निकाले गए धातुओं से
जो फ़िर दफ़न हो जाती है इतिहास बनकर
ये पृथ्वी शायद इसीलिए गोल है

ऐल्प्स पर पिघलते बर्फ
मेरे गांव तक आ जाते हैं बादल बनकर
मैंने कोई दूसरा देश नहीं देखा है,
ना ज्यादा शहरें ही
किताबें भी ज्यादा कहां पढ़ी है मैंने
मगर मैं कर सकता हूँ अनुवाद
बादलों का

निरंजन कुमार की अन्य रचनाएँ।

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