इस कलयुग में ‘राधा’-सी
तुम पूज्य न हो पाओगी
कितना भी अलौकिक और
नैतिक प्रेम हो तुम्हारा
तुम दैहिक पैमाने पर नाप दी जाओगी
तुम मित्र ढूंढोगी
वे प्रेमी बनना चाहेंगे
तुम आत्मा सौंप दोगी
वे देह पर घात लगाएंगे
पूर्ण समर्पित हो कर भी
तुम इस कलयुग में
‘राधा’ न बन पाओगी
क्योंकि…
राधा तो सिर्फ़ एक ही थी..
और… राधा से ही तो,
जुड़ा मोहन का अस्तित्व है!
जो पुकारोगी तुम कान्हा को
तो राधा को ही पाओगी।
कलयुग में तुम राधा-सी,
राधा-सा धैर्य कहा से लाओगी!