होने का हर्ष
ना होने का शोक
मिलन की मुस्कान
बिछड़न की मायूसी
हँसने का सुख
रोने का दुःख
पाने की चाहत
खोने की वेदना
बाहर की प्रीति
भीतर की पीड़ा
और भी न जाने
कितनी खुशियों
और कितने ग़मों से
घिरी होती है ज़िंदगी
मानो ईश्वर ने..
एक बड़ा सा शून्य बनाकर
ज़िंदगी उस पर रख दी हो
और हम जिये जा रहे हैं
कभी शून्य की धार पर
कभी शून्य के भीतर
तो कभी शून्य के बाहर
..
..
बस यही शून्य है, जो हमें
एहसास कराता रहता है
ज़िंदगी की प्रीति और पीड़ा का..
ना होने का शोक
मिलन की मुस्कान
बिछड़न की मायूसी
हँसने का सुख
रोने का दुःख
पाने की चाहत
खोने की वेदना
बाहर की प्रीति
भीतर की पीड़ा
और भी न जाने
कितनी खुशियों
और कितने ग़मों से
घिरी होती है ज़िंदगी
मानो ईश्वर ने..
एक बड़ा सा शून्य बनाकर
ज़िंदगी उस पर रख दी हो
और हम जिये जा रहे हैं
कभी शून्य की धार पर
कभी शून्य के भीतर
तो कभी शून्य के बाहर
..
..
बस यही शून्य है, जो हमें
एहसास कराता रहता है
ज़िंदगी की प्रीति और पीड़ा का..